गीता ज्ञान से होता है समस्त समस्याओं का समाधान- ब्रम्हाकुमारी मंजू

गुरुआस्था समाचार 

बिलासपुर - आज के चुनौती पूर्ण वातावरण में जब कभी व्यक्ति टूट जाता है,कभी सफल हो जाता हैं और कभी अपने जीवन को ही नष्ट कर लेता है श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान ने  वह सही विधि सिखाई है जिससे मानव के अंदर परिवर्तन करने की ताकत आ जाती है, जब व्यक्ति अपने को असमर्थ शक्तिहीन समझने लगता है या टूटने लगता है तब भी श्रीमद्भगवद्गीता के माध्यम से सही विधि सीखी जा सकती हैं श्रीमद्भगवद्गीता मन के विज्ञान का शास्त्र है इसमें भगवान ने जीवन के कई अद्भुत रहस्यों का उद्घाटन किया है और प्रतीक शैली की गुफाओं में चिरकाल तक इस अमूल्य खजाने को सुरक्षित रखने के भाव श्रीमद्भागवत गीता के अंदर समाहित है और उन्हीं आध्यात्मिक रहस्य को सरल शब्दों में आपके सामने ले आना कि हमारा लक्ष्य है क्योंकि श्रीमद्भगवद्गीता के श्रवण व पाठन से ही हम भाव विभोर हो जाते हैं यह हमें सही मायने में जीवन जीने की कला सिखाती है l भगवान का गाया हुआ मधुर गीत कहें व जीवन के लिए आवश्यक शक्तिशाली टॉनिक कहें वह श्रीमद भगवत गीता ज्ञान हैl  आज के चुनौतीपूर्ण वातावरण में उलझे मनुष्य के अनेकानेक  समस्याओं का समाधान श्रीमदभगवत गीता में निहित हैl वर्तमान समय जो संक्रामक बीमारी जिसे तनाव,डिप्रेशन,अवसाद कहते हैं प्रत्येक मानव मन में फैली हुई है और बाहर दूसरी बीमारी जिसे कोरोना कहते हैं इसके कारण हर पल भयभीत मनुष्य निरंतर संघर्षमय  जीवन जी रहा है वास्तव में अर्जुन अर्थात ज्ञान का अर्जन करने वाला समस्याओं में उलझा हुआ, द्वंद में फंसा हुआ आज के मनुष्य का प्रतीक है l श्रीमद्भागवत गीता भगवान का गाया हुआ मधुर गीत है जिसमें पारिवारिक,व्यक्तिगत, सामाजिक तथा राष्ट्रीय व वैश्विक समस्याओं का समाधान हमें प्राप्त होता है इससे निरोग नागरिकों का उदय होता है जो कि केवल तन से ही नहीं मन से भी निरोग होते हैं कई बार मन अनेक प्रकार की समस्याओं के संघर्ष में  निराश उदास शक्तिहीन होने लगता है ऐसे समय पर गीता ज्ञान शक्तिशाली टॉनिक का काम करता है और हमें सही रास्ता दिखाता है हमारे सदविवेक को  जागृत करता है उक्त  बातें ब्रह्माकुमारीज  टिकरापारा, प्रभुदर्शन भवन, सेवाकेंद्र संचालिका ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी नें छत्तीसगढ़ राज्य योग पतंजलि के तत्वाधान में रखे गये त्रि-दिवसीय गीता ज्ञान की सार्थकता वह दैनिक जीवन में इसका प्रयोग विषय पर कहीं l

 ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने गीता ज्ञान की उत्पत्ति, इसकी सार्थकता, दैनिक जीवन में नित्य प्रयोग के साथ आसुरी वृत्ति और दैवी  वृत्ति को भी समझाया पांडव अर्थात दैवी प्रवृत्ति और कौरव अर्थात आसुरी प्रवृत्तिl सत्य के मार्ग का अनुशरण करने वालों की विजय निश्चित है स्वयं भगवान उनका साथी बन उन्हें विजयी बनाते हैं, पांडव पांच थे युधिष्ठिर अर्थात युद्ध जैसी स्थिति में स्थिर बुद्धि, नकुल अर्थात नियमों पर चलने वाला, अर्जुन अर्थात ज्ञान का अर्जन करने वाला, सहदेव अर्थात श्रेष्ठ  कार्यों में सदा सहयोगी बनने वाला, भीम अर्थात दृढ़ इच्छाशक्ति से हर कार्य को संभव करने वाला l
 उन्होंने गीता श्लोकों के माध्यम से परमात्मा के सत्य स्वरूप का परिचय देते हुए स्पष्ट किया कि परमात्मा ज्योतियों का ज्योति अर्थात ज्योति बिंदु स्वरूप है जो अनंत किरणों को स्वयं में समाए हुए हैं, श्रेष्ठ है, शक्तिशाली है, सर्व गुणों में अनंत है, रूप में बिंदु और गुणों में सिंधु है, वर्तमान समय परमात्मा साधारण मानव तन में आकर जब दिव्य ज्ञान देते हैं तो मूड मति लोग न पहचानने के कारण उनका उपहास कर बैठते हैं l गीता उद्बोधन के प्रथम दिवस में श्रवण करते हुए जूम पर जुड़े हुए पतंजलि योग के सदस्यों व यूट्यूब पर जुड़े हुए अन्य साधकों ने गीता ज्ञान के अद्भुत आध्यात्मिक रहस्यों व गीता ज्ञान की गहराई को अनुभव किया l

Comments