एनटीपीसी सिपत के राखड की वजह से ग्रामीणों को हो रही है गंभीर बीमारी नहीं सुन रही ग्रामीणों की शिकायत       

शिवकुमार तिवारी
बिलासपुर - जिले के एनटीपीसी सीपत द्वारा बिजली उत्पादन के दौरान निकले राखड़ को आसपास के गांव के निकट बनाए गए राखड़ डेम में डाला जाता है सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि पीने के पानी में भी राखड़ घुल कर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। किसानों की फसलें बर्बाद हो रही है तो वहीं कृषि भूमि बंजर होती जा रही है। ग्रामीणों की मानें तो उनका जीना मुश्किल हो गया है। पिछले कई साल से लगातार शिकायत कर रहे हैं लेकिन जिम्मेदार प्रशासन कुभकर्णीय नींद से जागता ही नहीं!एनटीपीसी प्रभावित ग्रामीणों की शिकायत प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारी द्वारा कोई सुनवाई नहीं हो रही है वही क्षेत्र के तहसीलदार, एसडीएम , कलेक्टर, और पर्यावरण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ग्रामीणों की शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं करते। एनटीपीसी सीपत के द्वारा ग्राम रॉक, हरदाडीह, कौडिय, रलिया, एरमशाही, कछार, बेलटुकरी, सुखरीपाली, भिलाई, जयरामनगर, मिशन, गतोरा, भदौरा  मेंएनटीपीसी के  राखड़ डेम है,जहां गर्मी का मौसम आते ही तेज हवाओं के चलने से राखड़ डेम से बड़ी मात्रा में राखड़ उड़ कर आस पास स्थापित गांव के घरों तक पहुंच जाता है और गांवो के लोगो के भोजन, पानी और जीवन को प्रभावित कर देता है। ग्रामीणों की माने तो उनके घरों में डेम से उड़कर आए राखड़ की मोटी परत चढ़ जाती है वही खाने के समान,पीने के पानी और कपड़ो तक में डस्ट जमा हो जाता है जो आस पास के 20 से 30 किमी तक के एरिया को प्रभावित करता है हवा में राखड़ इतनी ज्यादा मात्रा में रहता है कि दूर दूर तक कुछ ठीक से दिखलाई नहीं देता रोड में चलने वाली गाड़िया तक नही दिखती और आए दिन बड़ी-बड़ी दुर्घटनाए होती रहती है। ग्रामीण इसे राखड़ की आंधी तूफान मानते हैं गर्मी का समय एनटीपीसी  के राखड़ डेम ग्रामीणों लिए अभिश्राप बन कर आता है। एनटीपीसी की लापरवाही से प्रतिदिन हजारों ग्रामीणों के स्वास्थ से खिड़वाड हो रहा है साथ ही पर्यावरण को भारी नुकसान पहुचाया जा रहा है लेकिन अब तक पर्यावण विभाग की उदासीनता से इन पर कोई कार्यवाही नही हो पाया है और न ही राखड़ डेम प्रबंधन के द्वारा कोई उचित व्यवस्था किया गया है देखना होगा कि कब तक ग्रामीणों को राखड़ की आंधी और तूफान से निजात दिलाने जिला प्रशासन द्वारा निजात दिलाने कोई ठोस कदम उठाया जाता है l यह बताना बहुत लाजिमी होगा कि जितने भी प्रवाहित गांव हैं इन लोगों का मांग है अगर  1 सप्ताह के अंदर ठीक नहीं किया गया तो आने वाले समय में यह भीषण बीमारी होने की आशंका बनी रहेगी , इसका जिम्मेदार  अधिकारी होगा l

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