राम नवमी के अवसर पर कथावाचक पंडित शर्मा ने बेटियों के महत्व पर डाला प्रकाश , कहा - कन्या भोज के साथ नारी का सम्मान रखना है जरूरी

गुरुआस्था समाचार राधेश्याम कोरी 

बेलतरा - धन्य होते हैं वे माता-पिता जो बेटियों के कन्यादान कर  " दाता " कहलाते हैं l बेटे भगवान के आशीर्वाद हैं , दो बेटियां भगवान के दिव्य प्रसाद हैं l यही साक्षात देवी स्वरूपा हैं  , तभी तो देवी यज्ञ करने पर 2 से 10 वर्ष की नौ कन्याओं की पूजा कर उन्हें कन्या भोज कराते हुए अलग-अलग देवियों के स्वरूप मानकर आस्था भरे भाव समर्पित करते हैं किंतु केवल इतना ही ना हो वर्तमान परिदृश्य में बेटियों की शिक्षा दीक्षा व संस्कार हेतु माता-पिता को विशेष जागरूक रहने की आवश्यकता है  l चैत्र वासंती नवरात्र पर्व के नवमी तिथि होने पर सिद्धिदात्री की पूजा के साथ कन्या भोज का महत्व बताते हुए आचार्य राजेंद्र महाराज ने यह बातें कहीं और बताया की देवी की शक्ति ही सर्वोपरि है , जिन की आराधना और मान्यता के बिना विश्व के किसी भी क्षेत्र के कार्य को अपने लक्ष्य और सिद्धांत पर सफलता नहीं मिलती l
          सृष्टि , पालन और संहार करने की क्षमता तथा निर्देश ब्राह्मण विष्णु और महेश को वही देवी प्रदान करती हैं  l सरस्वती लक्ष्मी और गौरी तथा सभी नारियां उन्हें जगदंबा की ही रचना है , यह संस्कृति के आधार स्तंभ है l
        आज समाज में नारियों , बेटियों के सम्मान की नितांत आवश्यकता है , पुरुष प्रधान समाज होने के कारण बेटियां आज भी अपनी अंतर्निहित गुणों और जिज्ञासा को प्रकट करने में संकोच करती हैं , इसलिए केवल इन्हें कन्या भोज करा देने से ही काम नहीं बनेगा  l बेटियां तो घर आंगन की शोभा और दुलार हैं , केवल नवरात्रि पर्व में ही नहीं बल्कि हमेशा के लिए कन्या शिक्षा , दक्षता और सुरक्षा का संकल्प सभी को लेना होगा  l
       पूरे विश्व पर वैश्विक महामारी का प्रकोप एक बड़ा संकट बना हुआ है , ऐसे प्रतिकूल घड़ी में जहां विपदा महामारी से बचने के लिए पौराणिक काल से ही देवी की पूजा अर्चना आराधना की जाती रही है वही विशेष अवसर पर भी सभी देवालय शक्ति पीठ आदि धार्मिक स्थलों पर विगत तीन नवरात्रों मैं ताले बंद हो जाते हैं  , फिर भी हमारी आस्था उस पराशक्ति की कृपा पर है जो एकांत भाव में भी हुए पूजा अर्चना से ही पूरे विश्व का कल्याण करेंगी l सनातन धर्म पूरे विश्व के कल्याण की कामना करती है l

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